रामलीला मैदान मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हुए अरविंद केजरीवाल ने सार्वजनिक तौर पर मंच से अपने वादों व आशाओं और आशंकाएं के विषयों को प्रमुखता से जगह दी और उन्हें बिना किसी लाग लपेट के जाहिर भी कर दिया। इसमें कोई संदेह की भी बात नही ं है की जिन वादों की गाड़ी पर सवार होकर 67 सीट की रफ्तार से सत्ता में आई है, उस प्रचंडता और वादों को पूरा करने और इन वादों को पूरा करने में आने वाली अड़चनों को दूर करने की रणनीति में आम आदमी पार्टी के अन्र्तमन में डर और घबराहट होना स्वाभिवक है, और जैसे-जैसे समय निकलेगा यह घबराहट दबाव का रूप लेने लगेगा जो घटेगा नहीं बढे़गा ही। इन नये गढे विचारों और राजनीति की नई पारी में निसंदेह पार्टी विचारो से ज्यादा सरकार इनके कार्यन्वन पर ध्यान देना चाहती है। राजकाज के इसी जोश में शायद आम आदमी पार्टी द्वारा दिल्ली विधानसभा में मीडिया को प्रतिबन्धित किया है। आप के इस ऐलान से ऐसा लगता है कि आप यह कहना चाहती है कि मीडिया उन्हें किसी बात के लिए मजबूर नहीं कर सकता। लेकिन आप को यह नहीं भूलना चाहिए कि मीडिया सरकार और जनता के बीच सेतू का काम करता है,और यह वहीं सेतू है जिसने आप क